खुद को तनहा तनहा सा महसूस करता हूं तुम्हारी यादों में लौट कर नहीं आना था तो बता दिया होता इंतजार में घुट घुट के मरने से क्या फायदा एक झटके में खुद को मिटा लिया होता
हम नहीं चाहते हैं कि मुझसे कोई गलती हो अगर भूल से भी कोई गलती हो जाए तो सजा पाने को अपना सर झुका लेता हूँ और कुबूल करता हूं कि जो सजा मुझे मिल रही है वह जायज है अपने त्रुटि को हर वक्त सुधारने की कोशिश करता हूं 1. लाख मैंने कहा बेकसूर हूं झूठे सुबूत और झूठे गवाहों पर सजा मुझको सहनी पड़ी खुद खुशी के अलावा कोई रास्ता न था